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राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर लेखक ऋषि कुमार च्यवन द्वारा….

बरेली-खींचो न कमान न तलवार निकालो,जब तोप मुकाबिल हो,तब अखबार निकालो,केवल भारतवर्ष ही नहीं संपूर्ण विश्व में हजारों लाखों व्यक्ति ऐसे हैं जिनकी प्रातःकाल सो कर उठते ही सबसे पहली आवश्यकता समाचार पत्र होती है,व्यक्ति उठते ही आईना तो बाद में देखता है सर्वप्रथम समाचार पत्र को देखता है,समाचार पत्र आया अथवा नहीं,जिस दिन भी किसी कारण वश अथवा अवकाश के कारण समाचार पत्र प्राप्त न हो सके तो ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे कोई बहुत मूल्यवान वस्तु हाथ से निकल गई हो और पूरे दिन एक कमी सी महसूस होती रहती है।

प्रातः काल समाचार पत्र एक संजीवनी का काम करते हैं,वास्तव में समाचार पत्र एक संजीवनी बूटी ही हैं,चाहे वह प्रिंट मीडिया हो चाहे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चाहे सोशल मीडिया,प्रेस का महत्व सदैव रहा है और सदैव ही रहेगा, वर्तमान परिपेक्ष्य में तो सोशल मीडिया के द्वारा पल भर में पूरे विश्व में नवीनतम समाचारों की करोड़ तक पहुंच हो जाती है,आज से अनेकों वर्ष पूर्व प्रख्यात शायर एवं लेखक अकबर इलाहाबादी ने इसके महत्व को दर्शाते हुए कहीं लिखा था”खींचो न कमान न तलवार निकालो,जब तोप मुकाबिल हो।

तब अखबार निकालो उनके द्वारा लिखित इन पंक्तियों से हम प्रेस की शक्ति और उसके महत्व को बखूबी समझ सकते हैं,भारतवर्ष में ब्रिटिश राज के दौरान प्रेस ने जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है,उस दौरान राष्ट्रभक्तों और क्रांतिकारियों का सबसे बड़ा हथियार प्रेस ही हुआ करता था और ब्रिटिश सरकार प्रेस के महत्व को समझते हुए इसे पूर्ण शक्ति से दबाने का प्रयास करती थी, जिसमें वह कभी भी सफल नहीं हुई।

स्वतंत्रता के पश्चात इसके महत्व को देखते हुए उस समय की सरकार द्वारा इस ओर गंभीरता से सोचते हुए और प्रयासरत रहते हुए वर्ष 1956 में प्रथम प्रेस आयोग ने वैधानिक प्राधिकरण के साथ एक निकाय बनाने का निर्णय लिया जिसके पास पत्रकारिता की नैतिकता को बनाए रखने की जिम्मेदारी हो,अतः1966 में सोलह नवंबर को प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया का गठन किया गया इसकी अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत न्यायाधीश एवं 28 अन्य क्षेत्र से संबंधित सदस्य होते हैं।

बीस सदस्य मीडिया से संबंधित पांच सदस्य संसद से एवं तीन सदस्य जिनमें एक सांस्कृतिक क्षेत्र एक न्यायिक क्षेत्र और एक साहित्यिक क्षेत्र से संबंधित सदस्य होता है, इसका गठन इस विचारधारा को देखते हुए किया गया कि पत्रकारिता की नैतिकता को बनाए रखने की जिम्मेदारी तथा इस प्रेस से संबंधित मुद्दे पर मध्यस्थता करने के लिए इसको कार्य रूप में लाया जाए यह एक वैधानिक और अर्धन्यायिक प्रतिष्ठान के रूप में कार्य करता है।

सोलह नवंबर को विधिवत रूप से इसने अपना कार्य प्रारंभ किया और इसीलिए प्रतिवर्ष सोलह नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाने लगा,इस दिन से ही प्रेस काउंसिल आफ इंडिया ने भारतीय प्रेस की गुणवत्ता की जांच करना और पत्रकारिता की गतिविधियों पर निगाह रखने का अपना कार्य सुचारू रूप से शुरू कर दिया,भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है,इसके तीन स्तंभ विधायिका, न्यायपालिका एवं कार्यपालिका के साथ-साथ एक चौथे स्तंभ के रूप में प्रेस मीडिया को ही माना जाता है।

कोई भी महत्वपूर्ण इमारत बिना चार स्तंभों के नहीं टिक सकती उसका विनाश किसी भी समय हो सकता है इसीलिए चारों स्तंभों की आवश्यकता होती है चौथे स्तंभ के रूप में प्रेस मीडिया 1956 के बाद से अपना कार्य सुचारू रूप से कर रही है,एक स्वतंत्र प्रेस को लोकतंत्र का आईना कहा जाता है कितनी भी विपरीत परिस्थितियों हो,कितनी भी कठिनाइयां सामने आए किंतु अपनी भूख प्यास नींद और प्राणों की भी चिंता ना करते हुए।

जब पत्रकार समाज की सच्चाई और उसमें घटने वाली प्रत्येक घटना को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए हम तक पहुंचाते हैं,यह वास्तव में बेजुबानों की आवाज है,जो सर्व शक्तिशाली शासको और दलित शासितों के बीच की कड़ी है,यह व्यवस्था की बुराइयों और उनकी अस्वस्थता को सामने लाता है और शासन की लोकतांत्रिक प्रणाली के मूल्यों को हर प्रकार से मजबूत करने की प्रक्रिया में सरकार के ऊपर अपनी गिद्ध दृष्टि भी रखता है।

भारतवर्ष में प्रेस को वॉच डॉग और भारतीय प्रेस परिषद को मोरल वॉच डॉग की संज्ञा दी गई है,मीडिया की दृष्टि से समाज की देश की प्रदेश की अथवा अपने नगर की और विश्व की बारीक से बारीक गतिविधि छुप नहीं सकती है, चाहे दिन हो अथवा रात कड़ी धूप हो अथवा वर्षा भयंकर शीत हो या कोहरा हो कोई भी परिस्थिति हो मीडिया कर्मी अपने कार्य में शिथिलता नहीं लाता और पूर्ण समर्पण भाव से पत्रकारिता में लीन रहता है।

प्रेस की आजादी पर कुठाराघात भी किए जाने की चेष्टा हुई,वर्तमान समय में इस पर भांति भांति के आक्षेप लगाए जाते रहे हैं,किंतु किसी भी बात पर ध्यान न देते हुए प्रेस से संबंधित पत्रकारों का यहट दायित्व है कि वह निष्पक्ष रूप से समाज के और जनमानस के सामने समस्त समाचारों को लाते रहें,सोलह नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के उपलक्ष्य में प्रेस से संबंधित प्रत्येक व्यक्ति को अनंत शुभकामनाएं एवं कोटि-कोटि बधाइयां- लेखक ऋषि कुमार च्यवन।

 

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