बहु आयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे दादा मुनि उर्फ अशोक कुमार-लेखक ऋषि कुमार च्यवन
बरेली- दस दिसंबर पुण्य तिथि पर विशेष अभिनेता, चित्रकार,गायक,निर्माता,निर्देशक एवं होम्योपैथी चिकित्सक कुमुद लाल गांगुली उर्फ अशोक कुमार उर्फ दादा मुनि का जन्म तेरह अक्टूबर वर्ष 1911 को भागलपुर बिहार में हुआ था,इनके पिता कुंजीलाल गांगुली पेशे से एडवोकेट थे और मां का नाम गौरी देवी था।
अशोक कुमार की प्रारंभिक शिक्षा मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में हुई थी और उन्होंने स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ली और लाॅ में कोलकता में प्रवेश लिया,किंतु इनका मन वकालत में नहीं था,यह फिल्मों में एक निर्देशक के रूप में अपनी जगह बनाना चाहते थे,इस उद्देश्य से इन्होंने मुंबई का रुख किया और वर्ष 1934 में न्यू थियेटर में बतौर लैबोरेट्री असिस्टेंट काम करना प्रारंभ कर दिया। उनकी इकलौती बहन का विवाह बॉम्बे टॉकीज में कार्यरत शशधर मुखर्जी से हुआ था और पूर्व से ही इनकी दोस्ती शशधर मुखर्जी से थी।
कुछ समय पश्चात शशधर मुखर्जी ने इन्हें बांबे टॉकीज में अपने पास बुला लिया,वर्ष 1936 में बांबे टॉकीज की फिल्म जीवन नैया का निर्माण हो रहा था, इसी दौरान फिल्म के अभिनेता निजाम उल हसन ने किसी कारणवश फिल्म में काम करने से मना कर दिया,ऐसी स्थिति में बांबे टॉकीज के मालिक हिमांशु राय का ध्यान अशोक कुमार पर गया और उन्होंने इन्हें फिल्मों में बतौर अभिनेता काम करने की पेशकश की,इस तरह से अशोक कुमार के फिल्मी जीवन की नैया,फिल्म जीवन नैया के अभिनेता के रूप में प्रारंभ हो गई।
वर्ष 1937 में अशोक कुमार ने बांबे टॉकीज के बैनर तले प्रदर्शित फिल्म अछूत कन्या में बतौर अभिनेता का काम किया,इसके बाद तो इन्होंने फिल्मी पर्दे पर अपने अभिनय से पूरे भारतवर्ष में धूम मचा दी,उनकी फिल्मों की हीरोइन देवका रानी और इनकी जोड़ी एक समय में फिल्मी दुनिया की सबसे प्रसिद्ध जोड़ी हुआ करती थी,इन्होंने फिल्मों में केवल अभिनय ही नहीं निर्देशन भी किया, इन्होंने कुछ फिल्मों का निर्माण भी किया,इन्होंने अनेक फिल्मों में गाने भी गाये,इन्होंने तीन सौ से अधिक फिल्मों में काम किया था।
इनकी देखा देखी उनके छोटे भाई अनूप कुमार और उस छोटे किशोर कुमार ने भी मुंबई फिल्मों का रुख किया और अपनी कलाकारी से फिल्मों में धूम मचाई,अशोक कुमार जिन्हें लोग प्यार से दादा मुनि के नाम से बुलाते थे अपने फ़िल्मी जीवन में वर्ष 1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से पुरुस्कृत हुए,वर्ष 1996 में फिल्म फेयर लाईफ टाइम अचीवर पुरस्कार भी प्राप्त किया,उनकी आखिरी फिल्म सन 1997 की आंखों में तुम हो थी,इन्हें सन 1999 में पद्म भूषण पुरस्कार से भी पुरुस्कृत किया गया था।
फिल्मों में हीरो के अतिरिक्त इन्होंने चरित्र अभिनेता के रूप में भी खुद को स्थापित किया और इन्होंने कुछ फिल्मों में बहुत लोकप्रिय गीत भी गाये,वर्ष 1984 में दूरदर्शन के पहले शोप ओपेरा हम लोग में वह सूत्रधार की भूमिका में दिखाई दिए और छोटे पर्दे पर भी दादा मुनि उर्फ अशोक कुमार ने लोगों का दूरदर्शन पर खूब मनोरंजन किया,यह फिल्मी कलाकारों के बीच में होम्योपैथी के डॉक्टर के रूप में भी बहुत प्रसिद्ध थे और उन्हें होम्योपैथी की दवाइयां भी दिया करते थे।
ऐसे बहुमुखी प्रतिभा के धनी अशोक कुमार ने दिनांक दस दिसंबर वर्ष 2001 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया,
दिनांक दस दिसंबर को उनकी पुण्यतिथि पर आज इन्हें याद करते हुए भावांजलि के रूप में इन पर कुछ पंक्तियां लिखी हैं,जो इनके व्यक्तित्व और कृतित्व को देखते हुए बहुत ही कम हैं,जब तक फिल्मी दुनिया का अस्तित्व रहेगा अशोक कुमार याद किए जाते रहेंगे।