बाबुओं का है बोलबाला पूर्वोत्तर रेलवे मंण्डल इज्जतनगर मौन
बरेली- पूर्वोत्तर रेलवे मंण्डल इज्जतनगर के इंजीनियरिंग अनुभाग में काम कर रहे गैंगमैन संतोष और दिनेश के बाद अब एक के बाद एक और नया मामला खुलकर सामने आ रहे हैं,जानकारों की माने तो इंजीनियरिंग अनुभाग में करीब आधा दर्जन से अधिक बाबू और ओएस तैनात हैं,लेकिन इनमें से अधिकतर बाबुओं के पास गिनती भर के काम दिये गये हैं बाकी समय वह खाली बैठ कर आराम फरमाते रहते हैं और दो तीन बाबुओं को तो पिछले काफी लंबे समय से मलाईदार सीटें दी गईं हैं।
वही बीते कई साल से कुछ बाबुओं को सैकड़ों करोड़ों रुपए वार्षिक बजट वाले प्लान दे रखें हैं,जिस वजह से उन बाबुओं के बारे न्यारे चल रहे है,उन्हें कमाऊ पटल मिलने का आलम यह है कि जैसे ही कोई बाबू रिटायर होता है वैसे ही उसका सारा मलाईदार काम दो तीन बाबूओं में ही बंट जाता है और बाकी बाबू अच्छा काम देखते ही रह जाते हैं,कुछ बाबुओं की जुगलबंदी इतनी अच्छी है कि वह अधिकारियों से सेटिंग करके एक दूसरे पर अपना प्लान आपस में चार्ज बदलवा लेते हैं।
जानकारों की मांने तो पूर्वोत्तर रेलवे इज्जत नगर मंण्डल में दो बाबुओं की जोड़ी किसी नये बाबू को कोई अच्छा काम नहीं मिलने देते हैं,अगर बात की जाये करोड़ों रुपए के वार्षिक बजट वाले प्लानों को देखने वाले बाबू सेंसिटिव सीटों पर पिछले कई सालों से जमे बैठे हैं,बताया तो यह भी जाता है कि इंजीनियरिंग विभाग से जुड़े अफसर भी यही चाहते हैं कि इस खेल में नया बाबू शामिल हुआ तो शायद उनके लिए इतनी अच्छी कमाई नहीं हो पाएगी,इसलिए वह भी नये बाबू को चार्ज देने में परहेज करते हैं।
अगर बात की जाये डीआरएम कार्यालय में इंजीनियरिंग अनुभाग में काम करने वाले गैंगमैन संतोष और दिनेश के बारे में कहा जाता है कि वह आफिस के कंप्यूटर पर ठेकेदारों की डीएससी लगाकर टेंडर डालने समेत ठेकेदारों के तमाम काम करते थे,जिस वजह से वह मोटा पैसा भी बसूलते थे,वही गैंगमैन दिनेश ठेकेदारों की पीबीसी
की फाइलें भी ऑफिस में बैठकर बनाता था,इस मामले में विजिलेंस ने ऑफिस कम्प्यूटर के रिकॉर्ड खंगालने के साथ ही महत्वपूर्ण रिकॉर्ड अपने साथ ले गई।
इस घटना के बाद मंडल मुख्यालय में भूचाल आ गया, जानकारों के द्वारा बताया यह भी जाता है कि गोरखपुर मुख्यालय से हुई अफसरों की किरकिरी के बाद अब इंजीनियरिंग अनुभाग में सीसीटीवी कैमरे भी लगवाये जा रहे हैं जिससे अफसरों को अपने बाबुओं की कार्य गुजारियों का समय रहते पता चल सके,रेलवे बोर्ड के आदेश कि गैंगमैन ऑफिसों में काम न करें उसके बाद भी इंजीनियरिंग अनुभाग में दिनेश और संतोष गैंगमैन होने के बाद भी बाबुओं से भी अधिक रसूख के साथ काम करते थे।