अमीन सयानी-जादुई आवाज़ का सितारा-जो डूब गया-लेखक ऋषि कुमार शर्मा च्यवन
बरेली– दिनांक 20 फरवरी सन 2024 की रात को जादुई आवाज़ के मालिक अमीन सयानी का मुंबई में निधन हो गया,जिसकी सूचना उनके पुत्र राज़िल सयानी द्वारा 21 फरवरी को दी गई,रेडियो सीलोन से सन् 1952 से 1988 तक लगातार प्रसारित होने वाले हिंदी गीतों के कार्यक्रम बिनाका गीतमाला का प्रारंभ जब उनकी जादुई आवाज़- बहनों और भाइयों से होता था तो लाखों दिलों की धड़कनें बढ़ जाती थीं।
यह कहना अत्यंत कठिन है की बिनाका गीतमाला ने इनकी प्रसिद्धि को चार चांद लगाए अथवा इन्होंने बिनाका गीत माला की प्रसिद्धि में चार चांद लगाए,अमीन सयानी का जन्म 21 दिसंबर सन् 1932 को ज़ान मोहम्मद सयानी एवं कुलसुम सयानी के यहां हुआ था,इनकी मां कुलसुम सयानी एक स्वतंत्रता सेनानी थीं और महात्मा गांधी के बहुत निकट थीं।
अमीन सयानी का विवाह एक कश्मीरी पंडित रमा मट्टू से हुआ था और उनके एक पुत्र राज़िल सयानी हैं,इन्होंने अपना रेडियो का सफर ऑल इंडिया रेडियो मुंबई से प्रारंभ किया था जहां यह 10 वर्षों तक अंग्रेजी कार्यक्रमों से जुड़े रहे,अमीन सियानी रेडियो सीलोन से लगातार सन् 1952 से 1988 तक जब तक सर्वश्रेष्ठ हिंदी गीतों का प्रसारण होता रहा यह उससे जुड़े रहे,उस समय इनके कार्यक्रम के श्रोताओं की अनुमानित संख्या 9 लाख से लेकर 20 लाख तक हुआ करती थी।
बिनाका गीत माला भारतवर्ष ही नहीं पूरे एशिया में बहुत प्रसिद्ध हुआ करता था,अमीन सयानी जी ने अपने संपूर्ण जीवन काल में लगभग 54000 रेडियो कार्यक्रम एवं लगभग 19000 जिंगल्स को अपनी आवाज़ दी,भारतवर्ष में लगभग इन्होंने 2000 स्टेज शो भी किये और अनेकों अंतर्राष्ट्रीय रेडियो शो में भी इन्होंने भागीदारी की और अनेकों राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत किए गए,उनके कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने इन्हें सन 2009 में पद्मश्री से भी अलंकृत किया था।
सन् 1988 के पश्चात विविध भारती में इन्होंने सन् 1989 से 1994 तक बिनाका गीत माला को जारी रखा और सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्मी गीतों को उनकी प्रसिद्धि के अनुसार नीचे से लेकर प्रथम पायदान तक प्रसारित करते रहे,उनकी जैसी जादुई आवाज़ के उद्घोषक जिनकी आवाज़ को सुनकर श्रोताओं के दिलों ङकी धड़कनें बढ़ जाती थीं, युगों-युगों तक लोगों के दिलों में राज करते रहेंगे और जीवित रहेंगे,लेखक-ऋषि कुमार शर्मा ‘च्यवन’।