कारगिल विजय दिवस के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन
बरेली– वरिष्ठ कवि ऋषि कुमार शर्मा च्यवन के काव्य पाठ एवं कार्यक्रम के संयोजन में कारगिल विजय दिवस के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ओ.के.मॉडल स्कूल एवं माल्यार्थ फाउंडेशन,दिल्ली प्रदेश चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में साहित्य विमर्श के अंतर्गत एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन मोहन गार्डन नई दिल्ली में किया गया,कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रख्यात कलाविद् डॉक्टर स्वर्ण अनिल,अध्यक्ष प्रख्यात कवियत्री एवं सेना में डॉक्टर रहीं मेजर प्राची गर्ग जिन्होंने कारगिल के युद्ध में भागीदारी की थी।
अति विशेष आमंत्रित अतिथि ओ.के.मॉडल स्कूल,मोहन गार्डन के अध्यक्ष योगी ओमकार पुंडीर जी रहे,कवि सम्मेलन में विशेष रूप से बरेली से दिल्ली पधारे वरिष्ठ कवि ऋषि कुमार शर्मा च्यवन ने कारगिल बलिदानियों को याद करते हुए कहा कि ‘लड़ते-लड़ते शत्रुओं से जो सदा को सो गए,आज करते हैं नमन उनको अमर जो हो गए’बल्लभगढ़ हरियाणा से पधारी युवा कवयित्री कोमल शर्मा ने कुछ यूं कहा कि ‘जिए हैं सदा जो वतन के लिए,जो फ़ना भी हुए हैं वतन के लिए,अश्रु की यह आहुति उनके लिए, जिनका जीवन हवन है वत़न के लिए।
कवि इंस्पेक्टर प्रभांशु कुमार ने कहा कि ‘अमर शहीदों की पुकार सुन सको तो सुन लेना,युद्ध के चीते की हुंकार सुन सको तो सुन लेना’कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉक्टर स्वर्ण अनिल ने कहा कि पर्वत शिखरों की दुर्गम कटार सरीखी धार,नहीं कर पाई उनके अदम्य साहस को म्लाान,यह दिल मांगे मोर लिया था जिन्होंने ठान’प्रख्यात कवि अभिमन्यु पांडे आदित्य ने पढ़ा कि’ओ पाकिस्तान बता दे उनको तेरे कितने हाफिज हैं,वहां का ख्वाब ना देखें जहां हो हिंद की सेना’।
वरिष्ठ कवि पंडित साहित्य कुमार चंचल ने कुछ यूं कहा कि’आन बान की खातिर जीवन जीने और मरने होंगे,एक ओर संगीने ने होंगी एक ओर सीने होंगे’युवा कवि पुनीत पांचाल ने आग उगलते हुए कहा कि’धर्म धरा को जिसने भी गंदी नियत से ताड़ा है,हमने ऐसे ही मक्कारों का भुज दंड उखाड़ा है’ इनके अतिरिक्त मेजर प्राची गर्ग,वरिष्ठ कवि जे.पी. रावत आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं से बहुत बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का सुंदर एवं सफल संचालन पंडित साहित्य कुमार चंचल द्वारा किया गया,अंत में आभार विद्यालय के प्रबंधक रवि कुमार, अध्यक्ष योगी ओमकार पुंडीर एवं माल्यार्थ फाउंडेशन के संस्थापक उदितेंदु निश्चल द्वारा ज्ञापित किया गया,विद्यालय की शिक्षिकाओं पल्लवी, कविता,ज्योति एवं आकृति द्वारा भी कुछ सुंदर कविताएं प्रस्तुत की गईं,उल्लेखनीय है कि विद्यालय के बच्चों द्वारा भी सुंदर गणेश वंदना एवं नृत्य प्रस्तुत किया गया था,जिसकी उपस्थित श्रोताओं ने बहुत सराहना की।