सशस्त्र सेना झंडा दिवस-लेखक ऋषि कुमार च्यवन
बरेली– सात दिसंबर प्रतिवर्ष सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है,इस दिवस को मनाने का मूल उद्देश्य है,सशस्त्र सेनाओं के तीनों अंगों थल सेना, जल सेना एवं नभ सेना के उन बहादुर सेनानियों जिन्होंने युद्ध के समय अपने प्राणों को उत्सर्ग कर दिया,अथवा घायल हो गए उनके और उनके परिवारों के कल्याणार्थ कुछ धनराशि एकत्रित की जा सके।
दिनांक 28 अगस्त 1949 को तत्कालीन रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करके यह निर्णय लिया गया कि प्रतिवर्ष सात दिसंबर को युद्ध में घायल अपंग अथवा मृत सैनिकों उनके परिवारों एवं सेवा निवृत सैनिकों एवं उनके परिवारों के कल्याण कुछ धनराशि एकत्रित की जाए जिससे तीनों सेनाओं से संबंधित सैनिकों और उनके परिवार को पुनर्वास हेतु एवं उनके हर प्रकार से कल्याण हेतु आर्थिक सहायता की जा सके, इस दिवस को मनाए जाने के कारण आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक रूप से सिविल की आम जनता को भी योगदान में सम्मिलित किया जाये।
जिससे उनका सैनिकों के कल्याण में जुड़ाव हो सके,वास्तव में देश की स्वतंत्रता के पश्चात बहुत बड़ी धनराशि की आवश्यकता देश के विकास के लिए एवं कल्याणकारी योजनाओं के लिए महसूस की गई, साथ ही सशस्त्र सेनाओं हेतु सरकारी फंड के अतिरिक्त भी कुछ और धनराशि आमजनता से भी एकत्रित की जा सके, जिससे धन की कमी ना महसूस हो और देश की रक्षा हेतु सेना का भी विस्तार किया जा सके।
वर्तमान में उक्त फंड को एकत्रित करने जिम्मेदारी राष्ट्रीय सैनिक कल्याण बोर्ड के द्वारा वहन की जाती है जो अन्य प्रदेशों में स्थित राज्य एवं जिला कल्याण बोर्ड के द्वारा कार्य रूप में लाई जाती है,सशस्त्र सेना झंडा दिवस के हेतु फंड एकत्रित करने के लिए विभिन्न सरकारी कार्यालयों, विद्यालयों और समाजसेवी संगठनों को स्टीकर एवं फ्लैग वितरित किए जाते हैं,जिनमें तीनों सेनाओं से संबंधित प्रतीक रंग रहते हैं।
सिविल की आम जनता बहुत गर्व और विश्वास के साथ सशस्त्र सेनाओं के कल्याण के लिए और उनकी बहादुरी और बलिदान को दृष्टिगत रखते हुए उनको इस रूप में अपनी श्रद्धांजलि भी प्रदान करती है,इस दिन किसी भी रूप में अपना योगदान देने के लिए हमारा कर्तव्य है कि हम राष्ट्र रक्षा में बलिदान होने वाले अथवा उसमें योगदान देने वाले सशस्त्र सेनाओं के कल्याण के लिए और उन्हें पहचान देने के लिए आर्थिक रूप से अपने सामर्थ्य के अनुसार सहायता कर सकें,जिससे उनकी कल्याणकारी योजनाएं सुचारू रूप से संचालित हो सकें।