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आईवीआरआई ने ऑनलाइन सूकर पालन पांच दिवसीय प्रशिक्षण का किया शुभारंभ

बरेली– भारतीय पशु चिकित्सा संस्थान, इज़्ज़तनगर के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के एग्री बिजनेस इनक्यूबेशन परियोजना के तहत पशुधन उत्पादन और प्रबंधन अनुभाग के सहयोग से पांच दिवसीय सूकर पालन से उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज शुभारंभ हुआ यह कार्यक्रम ऑनलाइन मोड में आयोजित किया गया जिसमें पूरे देश के छ: विभिन्न राज्यों असम,बिहार, राजस्थान,दिल्ली, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के कुल 34 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर एबीआई परियोजना के प्रधान अन्वेषक डा.बबलू कुमार ने सूकर पालन के क्षेत्र में उद्यमिता की अपार संभावनाओं के बारे में प्रतिभागियों को बताया कि इस क्षेत्र से जोड़कर युवा अपने लिए स्वरोजगार का सृजन कर सकते हैं, उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तौर तरीके से सूकर पालन करने से यह व्यवसाय ज्यादा लाभप्रद हो सकता है,वैज्ञानिक विधियों में से उचित ब्रीड का चयन उचित खान-पान उचित स्वास्थ्य प्रबंधन एवं नई तकनीकियों का समावेश करने से इस व्यवसाय द्वारा अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।

उन्होंने इस क्षेत्र में उद्यमिता के बढ़ते रुचियां के मुख्य कारण भी बताएं एवं इसे बढ़ती आबादी में खाद्य सुरक्षा के लिए एक समाधान के रूप मे भी देखा जा रहा है,उन्होने बताया कि अभी तक संस्थान के एबीआई केंद्र द्वारा करीब 35 उद्यमिता विकास कार्यक्रम से 744 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है जिसमें से कुछ लोग तो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर अपने उद्यम स्थापित कर चुके हैं,भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा पोषित नवाचार को प्रोत्साहित करने हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना रफ्तार परियोजना के बारे में जानकारी प्रदान कीI

कार्यक्रम के प्रमुख संयोजक तथा संस्थान के सूकर फॉर्म के प्रभारी डॉ अनुज चौहान ने प्रतिभागियों को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के रूपरेखा के बारे में बताया एवं सूकर पालन को कृषि के साथ-साथ एक व्यवसाय की तरह लेने की को प्रेरित किया,उन्होंने यह भी बताया कि इस व्यवसाय में अपार संभावनाएं है और सिर्फ देश में ही नहीं विदेश में भी निर्यात करने की संभावनाएं हैं,सूकरो में उच्च प्रजनन क्षमता,कम लागत, बेहतर ड्रेसिंग प्रतिशत एवं मांस की गुणवत्ता कुछ ऐसे आयाम है।

जिससे उद्यमिओ को सूकर पालन के लिए आकर्षित कर रही है साथ ही उन्होंने इसमें होने वाले विभिन्न रोगों से पशुओं को क्षति के बारे में आगाह किया और जैव सुरक्षा पर जोर देने की आवशयक्ता जताई,अंत मे उन्होने सूकर पालन एक लाभकारी व्यवसाय बताया एबं सभी प्रशिक्षणार्थियों को वैज्ञानिक विधि अपनाने पर जोर दियाI

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