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मेरा सुंदर सपना बीत गया,प्रसिद्ध पार्शव गायिका गीता दत्त के जन्म दिवस पर विशेष

बरेली– अपने समय की सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका गीता घोष राय चौधरी जो विवाह के उपरांत गीता दत्त के नाम से प्रसिद्ध हुईं का 23 नवंबर को जन्मदिवस है,इनका जन्म 23 नवंबर 1930 को ढाका स्थित फरीदपुर में जो वर्तमान में बांग्लादेश में है हुआ था,उनकी प्रतिभा को पहचाना के हनुमान प्रसाद ने और उन्होंने अपने संरक्षण में इन्हें फिल्मों में पार्श्व गायन के लिए लाए और इन्हें प्रशिक्षित किया।

वर्ष 1946 में इन्हें प्रथम अवसर मिला धार्मिक फिल्म भक्त प्रहलाद में गायन के लिए,जिसमें के हनुमान प्रसाद जी संगीत निर्देशक थे,उस समय गीता दत्त की आयु 16 वर्ष की थी और इन्होंने उसमें दो गीत गाए,अपने गीतों के दौरान फिल्म बाजी में इन्हें युवा डायरेक्टर गुरुदत्त से मिलना हुआ और उसके बाद इनका प्रेम परवान चढ़ा और 26 मई वर्ष 1953 को यह लोग विवाह बंधन में बंध गए,जिससे इन्हें तरुण,अरुण और नीना नाम के तीन पुत्र पुत्रियां हुए।

इन्होंने फिल्मों के अतिरिक्त गैर फिल्मी गाने भी गाये,
इन्होंने लगभग 1417 हिंदी फिल्मों के गीत गाए,हिंदी के अलावा इन्होंने मराठी,गुजराती, बंगाली,मैथिली, भोजपुरी और पंजाबी में भी अपने गीतों से लोगों को प्रभावित किया,इन्होंने कुछ गीत प्रसिद्ध संगीत निर्देशक एसडी बर्मन के निर्देशन में भी गाए,इनके कुछ प्रसिद्ध गीत मेरा सुंदर सपना बीत गया जाने क्या तूने कही जाने क्या मैंने सुनी हम आपकी आंखों में वक्त ने किया।

क्या हंसी सितम जरा सामने आओ छलिए बाबूजी धीरे चलना और ठंडी हवा काली घटा ने अपने समय में लाखों संगीत प्रेमियों के दिलों पर अपनी जगह बनाई, और अपने समय में यह एक सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका के रूप में स्थापित रहीं,अपनी फिल्मों के निर्देशन के दौरान गुरु दत्त वर्ष 1957 में प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री वहीदा रहमान के संपर्क में आए और वहीदा रहमान से उनके बहुत घनिष्ठ संबंध हो गए, जिसको गीता दत्त सहन न करके शराब में डूब गईं और उनका गायन का अंत हो गया।

वर्ष 1964 में गुरु दत्त का भी निधन अत्यधिक शराबखोरी और नींद की गोलियों के सेवन से हो गया,इस दौरान में गीता दत्त भी मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं थीं और बहुत आर्थिक कठिनाइयों में समय व्यतीत कर रही थीं,उन्होंने पुनःअपना गायन का कैरियर प्रारंभ करना चाहा,इन्होंने कुछ फिल्मों में गीत भी गाये,जिसमें तलत महमूद के साथ उनके कुछ गीत प्रसिद्ध हुए,बहुत कष्ट में जीवन व्यतीत करते हुए।

अपने समय में अपने गीतों से लोगों के दिलों में राज करने वाली गीता का 20 जुलाई वर्ष 1972 में निधन हो गया, उनके निधन से जो स्थान रिक्त हुआ उसे कभी भी भरा नहीं जा सका और उनके समकालीन लोगों के दिलों में अभी भी उनकी यादें उनके गीतों के रूप में मौजूद हैं, गीता दत्त के जन्मदिवस पर उन्हें मेरी समस्त संगीत प्रेमियों की ओर से भावांजलि-लेखक ऋषि कुमार च्यवन।

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