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ललित कलाओं को समर्पित संस्कार भारती के पर्याय पद्मश्री बाबा योगेंद्र लेखक- ऋषि कुमार च्यवन

बरेली– पद्मश्री बाबा योगेंद्र जी का जन्म 07 जनवरी वर्ष 1924 को बस्ती उत्तर प्रदेश में हुआ था,इनके पिता प्रसिद्ध वकील विजय बहादुर श्रीवास्तव थे,जब बाबा योगेंद्र केवल दो वर्ष के थे उनकी मां की मृत्यु हो गई और इनके दीर्घायु होने की मान्यता के कारण इन्हें पड़ोस में एक परिवार को बेच दिया गया,जहां दस वर्षों तक इनका पालन पोषण हुआ,इनके पिता एक आर्यसमाजी थे और कांग्रेस पार्टी के समर्थक थे,छात्र जीवन में बाबा योगेंद्र का संपर्क गोरखपुर में संघ के प्रचारक नाना देशमुख से हुआ।

उन्होंने मोहल्ले में लगने वाली संघ की शाखा में बाबा योगेंद्र को जाने को प्रेरित किया और उन्हें संघ का स्वयंसेवक बनने में सहायता की,नाना जी प्रतिदिन उन्हें जगाकर शाखा में जाने को प्रेरित करते थे,एक बार जब बाबा योगेंद्र को तेज बुखार हुआ तो नाना जी उन्हें अपने कंधे पर ललादकर डेढ़-दो किलोमीटर पैदल चलकर इलाज कराने के लिए ले गए,इसका बाबा योगेंद्र पर इतना प्रभाव पड़ा कि उन्होंने अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात अपने को संघ को पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया।

वर्ष 1942 में लखनऊ में प्रथम वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का प्रशिक्षण लेने के पश्चात वर्ष 1945 में बाबा योगेंद्र प्रचारक बन गए उन्हें सबसे पहले बस्ती का ही तहसील प्रचारक बना दिया गया, इसके बाद महाराजगंज,पडरौना में तहसील प्रचारक के रूप में कार्य करने के पश्चात ये प्रयागराज, बहराइच, बरेली,बदायूं,हरदोई और सीतापुर में जिला प्रचारक रहे,वर्ष 1975 में आपातकाल के समय वे सीतापुर के विभाग प्रचारक थे,वही संघ के शिक्षा वर्ग में उन्होंने एक प्रदर्शनी लगाई थी

जो शिवाजी,धर्मगंगा,जनता की पुकार,जलते कश्मीर, संकट में गौ माता,वर्ष 1857 का स्वाधीनता संग्राम,मां की पुकार आदि संवेदनशील विषयों पर केंद्रित थी,इनकी एक प्रदर्शनी भारत की विश्व को देन का तो विदेशों में भी बहुत प्रचार प्रसार हुआ,बाबा योगेंद्र की इस विलक्षण प्रतिभा को देखकर वर्ष 1981 ईस्वी में संस्कार भारती की स्थापना का निर्णय किया गया,इसका उद्देश्य था साहित्य एवं ललित कला के क्षेत्र के जरिए युवाओं के अंदर राष्ट्रीय चेतना लाने का,इसकी पृष्ठभूमि में भाऊराव देवरस,हरी भाऊवाकणकर नाना जी,माधव राव देवल भी बराबर के सहयोगी और चिंतक थे।

जिन्होंने इसकी स्थापना में अथक परिश्रम किया,लखनऊ में वर्ष 1981 में इसकी विधिवत स्थापना हुई,इसका ध्येेय वाक्य रखा गया सा कला या विमुक्तए अर्थात कला वह है जो बुराइयों के बंधन काट कर मुक्ति प्रदान करती है,वही समाज के विभिन्न वर्गों में कला के द्वारा राष्ट्रभक्ति एवं योग्य संस्कार जगाने, विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण व नवोदित कलाकारों को प्रोत्साहन देकर उनके माध्यम से सांस्कृतिक प्रदूषण रोकने के उद्देश्य से संस्कार भारती कार्य कर रही है वर्ष 1990 से संस्कार भारती के वार्षिक अधिवेशन कला साधक संगम के रूप में आयोजित किए जाते हैं।

जिनमें संगीत,नाटक, चित्रकला,काव्य, साहित्य और नृत्य विधाओं से जुड़े देश भर के स्थापित एवं नवोदित कलाकार अपनी कलाओं का प्रदर्शन करते हैं,इस हेतु भारतीय संस्कृति को प्रतिष्ठित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय गीत प्रतियोगिता,कृष्ण रूप सज्जा प्रतियोगिता,राष्ट्र भावना जगाने वाले नुक्कड़ नाटक,नृत्य,रंगोली,मेहंदी,चित्रकला, राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों आदि कार्यक्रमों का आयोजन संस्कार भारती द्वारा किया जाता है।

इसी कड़ी में संस्कार भारती प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा मनाये जाने वाले छः उत्सवों को भी अपने कार्यक्रमों में सम्मिलित करती है और उन्हें भव्य रूप में मनाती है,इस समय पूरे भारतवर्ष में संस्कार भारती की लगभग 1200 शाखाएं कार्यरत हैं,जहां यह लोक कलाओं और भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार में बहुमूल्य योगदान दे रही हैं,वैसे तो मूलत योगेंद्र जी चित्रकार थे किंतु वे समस्त लोक कलाओं और लोक कलाकारों के संरक्षण में संस्कार भारती की स्थापना के पश्चात जीवन पर्यंत लग रहे।

बाबा योगेंद्र संस्कार भारती के संरक्षक थे और उन्हें सन 2018 में पदमश्री से भी सम्मानित किया गया था,वे संस्कार भारती के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित रहे और इसके प्रचार प्रसार हेतु पूरे भारतवर्ष में समय समय पर भ्रमण करते रहे,अत्यधिक आयु के होने के बावजूद भी वह पूर्णतया स्वस्थ और सक्रिय रहे,उनकी विलक्षण स्मृति शक्ति का तो कोई जवाब ही नहीं था,जिससे वह एक बार मिल लेते थे उसे कुछ समय पश्चात भी मिलने पर एकदम पहचान लेते थे,दस जून वर्ष 2022 को कला ऋषि पद्मश्री बाबा योगेंद्र का लखनऊ में बीमारी के चलते निधन हो गया।

इस अपूर्णीय क्षति की कभी भरपाई नहीं की जा सकती, उनके जाने से एक युग का अंत हो गया,दिनांक 07 जनवरी 2024 को उनकी जन्मशती अनेक प्रांंतों और नगरों में बहुत भव्य रूप में मनाए जाने का निर्णय लिया गया है, संस्कार भारती से संबंधित प्रत्येक प्रकोष्ठों के सदस्य पूर्ण समर्पण भाव से जोर शोर से इस कार्यक्रम को सफल बनाने में दिन रात लगे हुए हैं,पद्मश्री बाबा योगेंद्र को उनकी जन्मशती पर शत-शत नमन और हार्दिक भावांजलि।

 

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