कवि गोष्ठी आयोजन समिति के तत्वावधान में सरस काव्य संध्या का हुआ आयोजन
बरेली-कवि गोष्ठी आयोजन समिति के तत्वावधान में सरस काव्य संध्या का आयोजन स्थानीय पांचालपुरी में सामाजिक कार्यकर्ता योगेश जौहरी के संयोजन से किया गया,जिसकी अध्यक्षता संस्थाध्यक्ष रणधीर प्रसाद गौड़ ने की,वही कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोक गीतकार रामधनी निर्मल व विशिष्ट अतिथि बृजेंद्र तिवारी अकिंचन रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ शारदे के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया,जिसके पश्चात काव्य संध्या में कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएँ प्रस्तुत कीं और संस्था के सचिव गीतकार उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने विसंगतियों के नाम अपने गीत को पढ़ते हुए इस प्रकार व्यंग्य किया कि
मिली पदवी और दौलत की नदी खोजी यहीं पर
क्यों हुईं इसके नशे में चूर,लोमड़ी जी फिर नहीं कहना कभी हमसे कहीं पर लग रहे खट्टे बहुत अंगूर।
वही कवि बृजेंद्र तिवारी अकिंचन ने सुनाया कि कभी न जाने क्यूँ यादों का वह शीपन बुलाता है,किसी के प्यार का धुँधला चुका दरपन बुलाता है,रणधीर प्रसाद गौड़ ने अपनी रचना के माध्यम से कहा कि राष्ट्र का वंदन करो जन-जन का अभिनंदन करो, अपनी मोहक गंध से माटी को भी चंदन करो,राम प्रकाश ओज ने अपनी रचना इस प्रकार कहा कि जानवरों से इतना डर अब न लगे उसको,जितना की आदमी को आदमी से लगता है।
कवि राम कुमार कोली ने अपनी रचना के माध्यम से कहा कि वरसा की ऋतु फेरि आई खूब झूमि-झूमि वादर निगोरे और बरसे हैं घूमि -घूमि,और राम कुमार भारद्वाज अफरोज ने सुनाया,भाईचारा अब अफरोज लगता है कमजोर जरा,मनोज दीक्षित टिंकू ने ओज से परिपूर्ण रचना इस प्रकार प्रस्तुत की-कि सारे जग की शान है, मेरा देश महान है भारत माँ की जान है, मेरा देश महान है,रामधनी निर्मलने लोकगीत इस प्रकार सुनाया कि निकरे कुआँ ते तो गिर गये खाई मा,पिता जी की चुप्पी बढ़ावे रार भाई मा,इस कार्यक्रम का संचालन मनोज दीक्षित टिंकू ने किया।