हुज़ूर मुफ्ती ए आज़म हिन्द की कलम हमेशा शरीयत की हिफाजत के लिये उठी
बरेली– उर्से नूरी की महफ़िल की शुरुआत में रज़ा एकेडमी के प्रमुख अल्हाज मुहम्मद सईद नूरी ने दरगाह आला हजरत पर हाज़री देकर गुलपोशी कर मुल्क व आवाम की सलामती कामयाबी,तरक़्क़ी,खुशहाली के लिये खुसूसी दुआए की,दरगाह आला हजरत स्थित नूरी गेस्ट हाउस परिसर में बाद नमाज़े मगरिब लंगर का आयोजन किया गया,उसके बाद 44 वें उर्स-ए-नूरी की महफ़िल सजी,उलेमा इकराम की तक़रीरों के साथ नातो मनकबत की महफ़िल हुई।
देर रात 1 बजकर 40 मिनट पर मुफ़्ती आज़म हिन्द के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई,कुल के दौरान ज़रूरतमंदों को थर्मस बाटे गये,हिंदुस्तान के मशहूर नातख़्वाह नूरी मियाँ अहमद रज़ा की नई नातिया एल्बम मुफ़्ती ए आज़म हिन्द आ जाईये,उर्स ए नूरी में नातिया एल्बम जारी की जिसकी इफ्तिदा नबीरा ए आला हजरत मौलाना तौसिफ रज़ा ख़ाँ ने की।
उर्स ए नूरी की महफ़िल में रज़ा एकेडमी के प्रमुख अल्हाज सईद नूरी ने कहा कि फाजिले बरेलवी आला हजरत मौलाना अहमद रजा खां के बेटे मुफ्ती-ए-आजम हिंद मौलाना मुस्तफा रजा खां को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने गारंटी पर बिना पासपोर्ट के हज यात्रा के लिए सऊदी अरब भिजवाया था,हुज़ूर मुफ़्ती ए आज़म हिन्द फोटो खिंचवाने से इतना परहेज करते थे,कि हज जाने के लिए जब पासपोर्ट बनवाने को फोटो की जरूरत पड़ी तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया था।
उनकी सवाने उमरी में लिखा है कि वर्ष 1972 में देश में कांग्रेस की हुकूमत थी,इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं,आला हजरत के मुरीदों के जरिए जब तत्कालीन प्रधानमंत्री को यह खबर मिली की मुफ्ती-ए-आजम हिंद हज के सफर पर जाना चाहते हैं,शरीयत में फोटो खिंचाना जाएज़ नही है,जिस कारण उनका पासपोर्ट नहीं बन रहा है,इस पर इंदिरा गांधी ने मुफ्ती-ए-आजम समेत सात लोगों के बारे में सउदी अरब के शासक शाह फैसल के बात करके उनकी गारंटी लेकर बिना पासपोर्ट के उन्हें हज यात्रा की इजाजत मांगी थी।
इंदिरा गांधी की गुजारिश पर सऊदी शासक की इजाजत मिलते ही मुफ्ती-ए-आजम उनकी अहलिया,उनके नवासे हजरत हज़रत मौलाना खालिद मियां आदि हज यात्रा पर बिना फोटो वाले पासपोर्ट के गए थे,ऐसा हिंदुस्तान में पहली बार हुआ था,मुफ्ती-ए-आजम हिंद की पैदाइश 18 जुलाई 1892 को मोहल्ला सौदारगरान में हुआ था,आपका 92 साल की उम्र में 12 नवंबर 1981 को विसाल हुआ। पूरी जिंदगी में आपने सौ से ज्यादा फतवे लिखे,नसबंदी के खिलाफ फतवा उनका सबसे ज्यादा चर्चित रहा हैं।
उलेमा इकराम ने हुजूर मुफ़्ती ए आज़म हिन्द की सादगी और इल्म,मुफ्ती-ए-आजम हिन्द जिन्दा वली है,आप बहुत बड़े आलिम,इबादतगुजार,परहेजगार,सखी,शरीअत पर अमल करने वाले,नेक तबियत,खुशमिजाज,लेखक, शायर,समाज सुधारक,हक बात कहने वाली अजीम शख्सियत पर रोशनी डाली है,बरेली हज सेवा समिति के पम्मी खान वारसी,हाजी इक़रार नूरी,गौहर अली ख़ाँ,मो मुस्तफ़ा रज़ा ख़ाँ,जुनैद रज़वी,दानिश रज़वी,सिद्दीक रज़वी,अनस अली,सलीम रज़वी आदि सहित बड़ी संख्या में शामिल रहे।